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कविता

बच्चे और दुनिया

राहुल देव


देखना कहीं
झरने के मानिंद गिरता चढ़ता
आसमान को छूने की चाह रखने वाला
अपनी दुनिया का बादशाह
कहीं रुक न जाए
समय का पहिया
कहीं उसके सपनों को बींध न दे
एकलव्य की तरह
कहीं उसकी प्रतिभा
दबा न दी जाए
अनंत चेहरे अगणित रचनाएँ
हर एक विशेष है यहाँ
बचपन के सुनहरे दिन
किशोरावस्था की सपनीली रातें...
युवा मेरे ! भटक न जाना,
कालखंड तुम्हारे स्वागत को प्रतीक्षारत है
इस दुनिया के कायदे इतने आसान नहीं
यह छीन लेगा तुमसे तुम्हारी मोहक हँसी
बचाकर रखना तुम सब
अपने आप को
लोगों ने ईश्वर की
इस आसान दुनिया को
बहुत कठिन बना दिया है
इसलिए सँभलकर चलना...
तुम्हीं से रोशन है यह दुनिया
ईश्वर ने कहा था -
"मैं तुम्हारे साथ हूँ...!"


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